50 साल की रजनी की जवानी

Virgin Sex Story, Uncle Sex Story, Pahli Bar Chudai, Desi Kahani, Chudai ki kahani, Hot Sexy Kahani, Nonveg Story 50 साल की रजनी, रात को 1० बजे रसोईघर की जूठन फेंकने के लिए बाहर निकली… थोड़ी देर पहले ही बारिश रुकी थी। चारों तरफ पानी के पोखर भरे हुए थे… भीनी मिट्टी की मदमस्त खुशबू से ठंडा वातावरण बेहद कामुक बना देने वाला था। दूर कोने मे एक कुत्तिया… अपनी पुत्ती खुद ही चाट रही थी… रजनी देखती रह गई..!! वह सोचने लगी की काश..!! हम औरतें भी यह काम अगर खुद कर पाती तो कितना अच्छा होता… मेरी तरह लंड के बिना तड़पती, न जाने कितनी औरतों को, इस मदमस्त बारिश के मौसम में, तड़पना न पड़ता…

वह घर पर लौटी… और दरवाजा बंद किया… और बिस्तर पर लेट गई।

उसका पति दो साल के लिए, कंपनी के काम से विदेश गया था… और तब से रजनी की हालत खराब हो गई थी। वैसे तो पचपन साल की उम्र मे औरतों को चुदाई की इतनी भूख नही होती… पर एकलौती बेटी की शादी हो जाने के बाद… दोनों पति पत्नी अकेले से पड़ गए थे.. पैसा तो काफी था… और उसका पति मदन, ५८ साल की उम्र मे भी.. काफी शौकीन मिजाज था.. रोज रात को वह रजनी को नंगी करके अलग अलग आसनों मे भरपूर चोदता.. रजनी की उम्र 50 साल की थी… मेनोपोज़ भी हो चुका था.. फिर भी साली… कूद कूद कर लंड लेती.. रजनी का पति मदन, ऐसे अलग अलग प्रयोग करता की रजनी पागल हो जाती… उनके घर पर ब्लू-फिल्म की डीवीडी का ढेर पड़ा था.. रजनी ने वह सब देख रखी थी.. उसे अपनी चुत चटवाने की बेहद इच्छा हो रही थी… और मदन की नामौजूदगी ने उसकी हालत और खराब कर दी थी।

ऊपर से उस कुत्तीया को अपनी पुत्ती चाटते देख… उसके पूरे बदन मे आग सी लग गई…

अपने नाइट ड्रेस के गाउन से… उसने अपने ४० इंच के साइज़ के दोनों बड़े बड़े गोरे बबले बाहर निकाले.. और अपनी हथेलियों से निप्पलों को मसलने लगी.. आहहहह..!! अभी मदन यहाँ होता तो… अभी मुझ पर टूट पड़ा होता… और अपने हाथ से मेरी चुत सहला रहा होता.. अभी तो उसे आने मे और चार महीने बाकी है.. पिछले २० महीनों से… रजनी के भूखे भोसड़े को किसी पुरुष के स्पर्श की जरूरत थी.. पर हाय ये समाज और इज्जत के जूठे ढकोसले..!! जिनके डर के कारण वह अपनी प्यास बुझाने का कोई और जुगाड़ नही कर पा रही थी।

“ओह मदन… तू जल्दी आजा… अब बर्दाश्त नही होता मुझसे…!!” रजनी के दिल से एक दबी हुई टीस निकली… और उसे मदन का मदमस्त लोडा याद आ गया.. आज कुछ करना पड़ेगा इस भोसड़े की आग का…

रजनी उठकर खड़ी हुई और किचन मे गई… फ्रिज खोलकर उसने एक मोटा ताज़ा बैंगन निकाला.. और उसे ही मदन का लंड समझकर अपनी चुत पर घिसने लगी… बैंगन मदन के लंड से तो पतला था… पर मस्त लंबा था… रजनी ने बैंगन को डंठल से पकड़ा और अपने होंठों पर रगड़ने लगी… आँखें बंद कर उसने मदन के सख्त लंड को याद किया और पूरा बैंगन मुंह मे डालकर चूसने लगी… जैसे अपने पति का लंड चूस रही हो… अपनी लार से पूरा बैंगन गीला कर दिया.. और अपने भोसड़े मे घुसा दिया… आहहहहहहह… तड़पती हुई चुत को थोड़ा अच्छा लगा…

आज रजनी.. वासना से पागल हो चली थी… वह पूरी नंगी होकर किचन के पीछे बने छोटे से बगीचे मे आ गई… रात के अंधेरे मे अपने बंगले के बगीचे मे अपनी नंगी चुत मे बैंगन घुसेड़कर, स्तनों को मरोड़ते मसलते हुए घूमने लगी.. छिटपुट बारिश शुरू हुई और रजनी खुश हो गई.. खड़े खड़े उसने बैंगन से मूठ मारते हुए भीगने का आनंद लिया… मदन के लंड की गैरमौजूदगी में बैंगन से अपने भोंसड़े को ठंडा करने का प्रयत्न करती रजनी की नंगी जवानी पर बारिश का पानी… उसके मदमस्त स्तनों से होते हुए… उसकी चुत पर टपक रहा था। विकराल आग को भी ठंडा करने का माद्दा रखने वाले बारिश के पानी ने, रजनी की आग को बुझाने के बजाए और भड़का दिया। वास्तविक आग पानी से बुझ जाती है पर वासना की आग तो ओर प्रज्वलित हो जाती है। रजनी बागीचे के गीले घास में लेटी हुई थी। बेकाबू हो चुकी हवस को मामूली बैंगन से बुझाने की निरर्थक कोशिश कर रही थी वह। उसे जरूरत थी.. एक मदमस्त मोटे लंबे लंड की… जो उसके फड़फड़ाते हुए भोसड़े को बेहद अंदर तक… बच्चेदानी के मुख तक धक्के लगाकर, गरम गरम वीर्य से सराबोर कर दे। पक-पक पुच-पुच की आवाज के साथ रजनी बैंगन को अपनी चुत के अंदर बाहर कर रही थी। आखिर लंड का काम बैंगन ने कर दिया। रजनी की वासना की आग बुझ गई.. तड़पती हुई चुत शांत हो गई… और वह झड़कर वही खुले बगीचे में नंगी सो गई… रात के तीन बजे के करीब उसकी आँख खुली और वह उठकर घर के अंदर आई। अपने भोसड़े से उसने पिचका हुआ बैंगन बाहर निकाला.. गीले कपड़े से चुत को पोंछा और फिर नंगी ही सो गई।

सुबह जब वह नींद से जागी तब डोरबेल बज रही थी “दूध वाला रसिक होगा” रजनी ने सोचा, इतनी सुबह, ६ बजे और कौन हो सकता है!! रजनी ने उठकर दरवाजा खोला… बाहर तेज बारिश हो रही थी। दूधवाला रसिक पूरा भीगा हुआ था.. रजनी उसे देखते ही रह गई… कामदेव के अवतार जैसा, बलिष्ठ शरीर, मजबूत कदकाठी, चौड़े कंधे और पेड़ के तने जैसी मोटी जांघें… बड़ी बड़ी मुछों वाला ३५ साल का रसिक.. रजनी को देखकर बोला “कैसी हो भाभीजी?”

गाउन के अंदर बिना ब्रा के बोबलों को देखते हुए रसिक एक पल के लिए जैसे भूल ही गया की वह किस काम के लिए आया था!! उसके भीगे हुए पतले कॉटन के पतलून में से उसका लंड उभरने लगा जो रजनी की पारखी नजर से छिप नही सका।
“अरे रसिक, तुम तो पूरे भीग चुके हो… यहीं खड़े रहो, में पोंछने के लिए रुमाल लेकर आती हूँ.. अच्छे से जिस्म पोंछ लो वरना झुकाम हो जाएगा” कहकर अपने कूल्हे मटकाती हुई रजनी रुमाल लेने चली गई।

“अरे भाभी, रुमाल नही चाहिए,… बस एक बार अपनी बाहों में जकड़ लो मुझे… पूरा जिस्म गरम हो जाएगा” अपने लंड को ठीक करते हुए रसिक ने मन में सोचा.. बहेनचोद साली इस भाभी के एक बोबले में ५-५ लीटर दूध भरा होगा… इतने बड़े है… मेरी भेस से ज्यादा तो इस रजनी भाभी के थन बड़े है… एक बार दुहने को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए…

रसिक घर के अंदर ड्रॉइंगरूम में आ गया और डोरक्लोज़र लगा दरवाजा अपने आप बंद हो गया।

रजनी ने आकर रसिक को रुमाल दिया। रसिक अपने कमीज के बटन खोलकर रुमाल से अपनी चौड़ी छाती को पोंछने लगा। रजनी अपनी हथेलियाँ मसलते उसे देख रही थी। उसके मदमस्त चुचे गाउन के ऊपर से उभरकर दिख रहे थे। उन्हे देखकर रसिक का लंड पतलून में ही लंबा होता जा रहा था। रसिक के सख्त लंड की साइज़ देखकर… रजनी की पुच्ची बेकाबू होने लगी। उसने रसिक को बातों में उलझाना शुरू किया ताकि वह ओर वक्त तक उसके लंड को तांक सके।

“इतनी सुबह जागकर घर घर दूध देने जाता है… थक जाता होगा.. है ना!!” रजनी ने कहा

“थक तो जाता हूँ, पर क्या करूँ, काम है करना तो पड़ता ही है… आप जैसे कुछ अच्छे लोग को ही हमारी कदर है.. बाकी सब तो.. खैर जाने दो” रसिक ने कहा। रसिक की नजर रजनी के बोबलों पर चिपकी हुई थी.. यह रजनी भी जानती थी.. उसकी नजर रसिक के खूँटे जैसे लंड पर थी।

रजनी ने पिछले २० महीनों से.. तड़प तड़प कर… मूठ मारकर अपनी इज्जत को संभाले रखा था.. पर आज रसिक के लंड को देखकर वह उत्तेजित हथनी की तरह गुर्राने लगी थी…

“तुझे ठंड लग रही है शायद… रुक में चाय बनाकर लाती हूँ” रजनी ने कहा

“अरे रहने दीजिए भाभी, में आपकी चाय पीने रुका तो बाकी सारे घरों की चाय नही बनेगी.. अभी काफी घरों में दूध देने जाना है” रसिक ने कहा

फिर रसिक ने पूछा “भाभी, एक बात पूछूँ? आप दो साल से अकेले रह रही हो.. भैया तो है नही.. आपको डर नही लगता?” यह कहते हुए उस चूतिये ने अपने लंड पर हाथ फेर दिया

रसिक के कहने का मतलब समझ न पाए उतनी भोली तो थी नही रजनी!!

“अकेले अकेले डर तो बहोत लगता है रसिक… पर मेरे लिए अपना घर-बार छोड़कर रोज रात को साथ सोने आएगा!!” उदास होकर रजनी ने कहा

“चलिए भाभी, में अब चलता हूँ… देर हो गई… आप मेरे मोबाइल में अपना नंबर लिख दीजिए.. कभी अगर दूध देने में देर हो तो आप को फोन कर बता सकूँ”

तिरछी नजर से रसिक के लंड को घूरते हुए रजनी ने चुपचाप रसिक के मोबाइल में अपना नंबर स्टोर कर दिया।

“आपके पास तो मेरा नंबर है ही.. कभी बिना काम के भी फोन करते रहना… मुझे अच्छा लगेगा” रसिक ने कहा

रजनी को पता चल गया की वह उसे दाने डाल रहा था

“चलता हूँ भाभी” रसिक मुड़कर दरवाजा खोलते हुए बोला

उसके जाते ही दरवाजा बंद हो गया। रजनी दरवाजे से लिपट पड़ी, और अपने स्तनों को दरवाजे पर रगड़ने लगी। जिस रुमाल से रसिक ने अपनी छाती पोंछी थी उसमे से आती मर्दाना गंध को सूंघकर उस रुमाल को अपने भोसड़े पर रगड़ते हुए रजनी सिसकने लगी।

कवि कालिदास ने अभिज्ञान शाकुंतल और मेघदूत में जैसे वर्णन किया है बिल्कुल उसी प्रकार.. रजनी इस बारिश के मौसम में कामातुर हो गई थी। दूध गरम करने के लिए वो किचन में आई और फिर उसने फ्रिज में से एक मोटा गाजर निकाला। दूध को गरम करने गेस पर चढ़ाया.. और फिर अपने तड़पते भोसड़े में गाजर घुसेड़कर अंदर बाहर करने लगी।

रूम के अंदर बहोत गर्मी हो रही थी.. रजनी ने एक खिड़की खोल दी.. खिड़की से आती ठंडी हवा उसके बदन को शीतलता प्रदान कर रही थी और गाजर उसकी चुत को ठंडा कर रहा था। खिड़की में से उसने बाहर सड़क की ओर देखा… सामने ही एक कुत्तीया के पीछे 10-12 कुत्ते, उसे चोदने की फिराक में पागल होकर आगे पीछे दौड़ रहे थे।

रजनी मन में ही सोचने लगी “बहनचोद.. पूरी दुनिया चुत के पीछे भागती है… और यहाँ में एक लंड को तरस रही हूँ”

सांड के लंड जैसा मोटा गाजर उसने पूरा अंदर तक घुसा दिया… उसके मम्मे ऐसे दर्द कर रहे थे जैसे उनमे दूध भर गया हो.. भारी भारी से लगते थे। उस वक्त रजनी इतनी गरम हो गई की उसका मन कर रहा था की गैस के लाइटर को अपनी पुच्ची में डालकर स्पार्क करें…

रजनी ने अपने सख्त गोभी जैसे मम्मे गाउन के बाहर निकाले… और किचन के प्लेटफ़ॉर्म पर उन्हे रगड़ने लगी.. रसिक की बालों वाली छाती उसकी नजर से हट ही नही रही थी। आखिर दूध की पतीली और रजनी के भोसड़े में एक साथ उबाल आया। फरक सिर्फ इतना था की दूध गरम हो गया था और रजनी की चुत ठंडी हो गई थी।

रोजमर्रा के कामों से निपटकर, रजनी गुलाबी साड़ी में सजधज कर सब्जी लेने के लिए बाजार की ओर निकली। टाइट ब्लाउस में उसके बड़े बड़े स्तन, हर कदम के साथ उछलते थे। आते जाते लोग उन मादक चूचियों को देखकर अपना लंड ठीक करने लग जाते.. उसके मदमस्त कूल्हे, राजपुरी आम जैसे बबले.. और थिरकती चाल…

एक जवान सब्जी वाले के सामने उकड़ूँ बैठकर वह सब्जी देखने लगी। रजनी के पैरों की गोरी गोरी पिंडियाँ देखकर सब्जीवाला स्तब्ध रह गया। घुटनों के दबाव के कारण रजनी की बड़ी चूचियाँ ब्लाउस से उभरकर बाहर झाँकने लगी थी..

रजनी का यह बेनमून हुस्न देखकर सब्जीवाला कुछ पलों के लिए, अपने आप को और अपने धंधे तक को भूल गया।

रजनी के दो बबलों को बीच बनी खाई को देखकर सब्जीवाले का छिपकली जैसा लंड एक पल में शक्करकंद जैसा बन गया और एक मिनट बाद मोटी ककड़ी जैसा!!!

“मुली का क्या भाव है?” रजनी ने पूछा

“एक किलो के ४० रूपीए”

“ठीक है.. मोटी मोटी मुली निकालकर दे मुझे… एक किलो” रजनी ने कहा

“मोटी मुली क्यों? पतली वाली ज्यादा स्वादिष्ट होती है” सब्जीवाले ने ज्ञान दिया

“तुझे जितना कहा गया उतना कर… मुझे मोटी और लंबी मुली ही चाहिए” रजनी ने कहा

“क्यों? खाना भी है या किसी ओर काम के लिए चाहिए?”

रजनी ने जवाब नही दिया तो सब्जीवाले को ओर जोश चढ़ा

“मुली से तो जलन होगी… आप गाजर ले लो”

“नही चाहिए मुझे गाजर… ये ले पैसे” रजनी ने थोड़े गुस्से के साथ उसे 500 का नोट दिया

बाकी खुले पैसे वापिस लौटाते वक्त उस सब्जीवाले ने रजनी की कोमल हथेलियों पर हाथ फेर लिया और बोला “और क्या सेवा कर सकता हूँ भाभीजी?”

उसकी ओर गुस्से से घूरते हुए रजनी वहाँ से चल दी। उसकी बात वह भलीभाँति समझ सकती थी। पर क्यों बेकार में ऐसे लोगों से उलझे… ऐसा सोचकर वह किराने की दुकान के ओर गई।

बाकी सामान खरीदकर वह रिक्शा में घर आने को निकली। रिक्शा वाला हारामी भी मिरर को रजनी के स्तनों पर सेट कर देखते देखते… और मन ही मन में चूसते चूसते… ऑटो चला रहा था। ​

एक तरफ घर पर पति की गैरहाजरी, दूसरी तरफ बाहर के लोगों की हलकट नजरें.. तीसरी तरफ भोसड़े में हो रही खुजली तो चौथी तरफ समाज का डर… परेशान हो गई थी रजनी!!

घर आकर वह लाश की तरह बिस्तर पर गिरी.. उसकी छाती से साड़ी का पल्लू सरक गया… यौवन के दो शिखरों जैसे उत्तुंग स्तन.. रजनी की हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे। लेटे लेटे वह सोच रही थी “बहनचोद, इन माँस के गोलों में भला कुदरत ने ऐसा क्या जादू किया है की जो भी देखता है बस देखता ही रह जाता है!!” फिर वह सोचने लगी की वैसे तो मर्द के लंड में भी ऐसा कौनसा चाँद लगा होता है, जो औरतें देखते ही पानी पानी हो जाती है!!

रजनी को अपने पति मदन के लंड की याद आ गई… ८ इंच का… मोटे गाजर जैसा… ओहहह… ईशशश… रजनी ने इतनी गहरी सांस ली की उसकी चूचियों के दबाव से ब्लाउस का हुक ही टूट गया। ​

कुदरत ने मर्दों को लंड देकर, महिलाओं को उनका ग़ुलाम बना दिया… पूरा जीवन… उस लंड के धक्के खा खाकर अपने पति और परिवार को संभालती है.. पूरा दीं घर का काम कर थक के चूर हो चुकी स्त्री को जब उसका पति, मजबूत लंड से धमाधम चोदता है तो स्त्री के जनम जनम की थकान उतर जाती है… और दूसरे दिन की महेनत के लिए तैयार हो जाती है।

रजनी ने ब्लाउस के बाकी के हुक भी खोल दिए… अपने मम्मों के बीच की कातिल चिकनी खाई को देखकर उसे याद आ गया की कैसे मदन उसके दो बबलों के बीच में लंड घुसाकर स्तन-चुदाई करता था। रजनी से अब रहा नही गया… घाघरा ऊपर कर उसने अपनी भोस पर हाथ फेरा… रस से भीग चुकी थी उसकी चुत… अभी अगर कोई मिल जाए तो… एक ही झटके में पूरा लंड अंदर उतार जाए… इतना गीला था उसका भोसड़ा.. चुत के दोनों होंठ फूलकर कचौड़ी जैसे बन गए थे।

रजनी ने चुत के होंठों पर छोटी सी चिमटी काटी… दर्द तो हुआ पर मज़ा भी आया… इसी दर्द में तो स्वर्गिक आनंद छुपा था.. वह उन पंखुड़ियों को और मसलने लगी.. जितना मसलती उतनी ही उसकी आग और भड़कने लगी… “ऊईईई माँ… ” रजनी के मुंह से कराह निकल गई… हाय.. कहीं से अगर एक लंड का बंदोबस्त हो जाए तो कितना अच्छा होगा… एक सख्त लंड की चाह में वह तड़पने लगी.. थैली में से उसने मोटी मुली निकाली और उस मुली से अपनी चुत को थपथपाया… एक हाथ से भगोष्ठ के संग खेलते हुए दूसरे हाथ में पकड़ी हुई मुली को वह अपने छेद पर रगड़ रही थी। भोसड़े की गर्मी और बर्दाश्त न होने पर, उसने अपनी गांड की नीचे तकिया सटाया और उस गधे के लंड जैसी मुली को अपनी चुत के अंदर घुसा दिया।

लगभग 1० इंच लंबी मुली चुत के अंदर जा चुकी थी। अब वह पूरे जोश के साथ मुली को अपने योनिमार्ग में रगड़ने लगी.. ५ मिनट के भीषण मुली-मैथुन के बाद रजनी का भोंसड़ा ठंडा हुआ… रजनी की छाती तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी। सांसें नॉर्मल होने के बाद उसने मुली बहार निकाली। उसके चुत रस से पूरी मुली सन चुकी थी.. उस प्यारी सी मुली को रजनी ने अपनी छाती से लगा लिया… बड़ा मज़ा दिया था उस मुली ने! मुली की मोटाई ने आज तृप्त कर दिया रजनी को!!

मुली पर लगे चिपचिपे चुत-रस को वह चाटने लगी.. थोड़ा सा रस लेकर अपनी निप्पल पर भी लगाया… और मुली को चाट चाट कर साफ कर दिया।

अब धीरे धीरे उसकी चुत में जलन होने शुरू हो गई.. रजनी ने चूतड़ों के नीचे सटे तकिये को निकाल लिया और दोनों जांघें रगड़ती हुई तड़पने लगी… “मर गई!!! बाप रे!! बहुत जल रहा है यह तो अंदर…” जलन बढ़ती ही गई… उस मुली का तीखापन पूरी चुत में फैल चुका था.. वह तुरंत उठी और भागकर किचन में गई.. फ्रिज में से दूध की मलाई निकालकर अपनी चुत में अंदर तक मल दी रजनी ने.. !! ठंडी ठंडी दूध की मलाई से उसकी चुत को थोड़ा सा आराम मिला.. और जलन धीरे धीरे कम होने लगी.. रजनी अब दोबारा कभी मुली को अपनी चुत के इर्द गिर्द भी भटकने नही देगी… जान ही निकल गई आज तो!! ​

शाम तक चुत में हल्की हल्की जलन होती ही रही… बहनचोद… लंड नही मिल रहा तभी इन गाजर मूलियों का सहारा लेना पड़ रहा है..!! मादरचोद मदन… हरामी.. अपना लंड यहाँ छोड़कर गया होता तो अच्छा होता… रजनी परेशान हो गई थी.. अब इस उम्र में कीसे पटाए??

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