Antarvasna Family Sex Story in Hindi

मैं तुम्हारी प्यारी सेक्सी जूली को एक और चुदाई का अनुभव प्रस्तुत करती हूँ।

मैं पहले इस भाग को लिखना चाहिए था क्योंकि इसके बाद की कहानी मैं पहले ही लिख चुकी हूँ। कोई बात नहीं। मैं जानता हूँ कि लिखना आपको पसंद आएगा।

कभी-कभी मुझे हंसी आती है कि मैं चुदाई करती हूँ और आप लोग इसका मज़ा लेते हैं।

मैं सच लिखने से कभी नहीं हटी हूँ, चाहे वह कितना कड़वा हो।

मैं जानता हूँ कि बहुत सी लड़कियां मेरी तरह चुदाई करवाती हैं, लेकिन कोई भी लड़की नहीं बताती। मैंने अपनी चुदाई की बात साझा की है और ऐसा करती रहूंगा।

अब मैं असली कहानी पर आती हूँ. मज़ा लीजिए।

मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बिज़नस में अपने पापा और चाचा का

सहयोग कर रही थी। आप जानते हैं कि मैं कॉलेज से पहले से ही व्यवसाय में था।

मैं हमारे उत्पादों में दिलचस्पी लेने लगी थी और मेरी पढ़ाई खत्म हो चुकी थी

मार्केटिंग में बहुत बुद्धिमान हो गई। मैंने कई बार विदेश यात्रा की है।

किया है और स्वयं विदेशियों से काम करती हूँ।

एक दिन मैं फार्म हाउस से शाम को घर वापस आई तो बहुत थकी हुई थी।

मेरे माता-पिता घर पर मुझे देख रहे थे। मैंने चाय पी और

वह नहाकर स्वच्छ होने के लिए अपने कमरे में गई। मैंने अपनी पूरी पोशाक उतारी।

और बाथरूम में नंगी आ गई। जैसा कि आप जानते हैं, मैं बहुत सेक्सी हूँ और

इसलिए मैं नहाते हुए अपने हाथों से अपनी चूचियों को मसलने से नहीं रोक पाती।

सकी मैं भी एक बार अपनी चूत पर हाथ लगाया, लेकिन मैं तुरंत हटा दिया क्योंकि मैं पहले से ही बहुत थकी हुई थी। मैंने देखा कि मेरी चूत पर बाल आने लगे। मैं अपनी चूत को हमेशा साफ रखती हूँ।

मैं चूत पर बाल नहीं चाहता। मैंने सोने से पहले चूत के बालों को साफ करने का विचार किया। नहाने के द मैं बाहर आई और अपना सेक्सी गोरा शरीर पूंछने के बाद आराम करने के लिए ऊपर से गाउन पहन लिया। मैंने चूत के बाल साफ़ करने की क्रीम खोजी और इसे पलंग की साइड टेबल पर रखा ताकि मैं रात को इस्तेमाल कर सकूँ। मैंने कुछ देर अपने कमरे में टीवी देखा। देखकर रात का खाना अपने माता-पिता के साथ खाने आया। मेरे पापा ने बताया कि मेरे चोदु चाचा देर से घर आ रहे हैं।

खाना खाते समय पिता ने कहा, “जुली!” तुम्हारे चाचा या आप दोनों को इतालवी जाना होगा। अगले सीज़न के बिज़नस पर चर्चा करने और इसे अंतिम करने के लिए एक पत्र आज ही वहां से आया है।

कोई यहाँ से उनके पास जाए।

मैंने कहा, “ठीक है पापा”। चाचा को आने दो। कल हम निर्णय लेंगे।

पिताजी ने कहा, ठीक है। यह बहुत जल्दी नहीं है। हमारे पास पर्याप्त समय है।

हमने खाना खाकर बातें करने लगे। मैं थक गया था, तो मेरे पिता ने मुझे अपने कमरे में जाकर आराम करने और जल्दी सोने को कहा। जब मैं उठकर अपने कमरे में जा रहा था, तो मैंने देखा कि चाचा की कार हमारे घर की पार्किंग में आ रही थी। मैंने सभी को अच्छी रात दी और अपने कमरे में चली गई। मैंने अपने कमरे को अंदर से बंद कर दिया, साथ ही साथ अपने बाथरूम को भी बाहर से बंद कर दिया। (जैसा कि आप जानते हैं, मेरे और मेरे माता-पिता के कमरे के बीच में एक साझा बाथरूम है) मैंने अपना गाउन उतारा, ब्रा और चड्डी भी उतारी, और एक टॉवेल और कुछ टेक्सटाइल पेपर लेकर अपने पलंग पर चली गई। ताकि मैं आराम से बैठी हुई चूत के बालों पर क्रीम लगाकर साफ़ कर सकूँ, मैं पीछे तकिया लगाकर अपने पैर चौड़े किये। मैंने टॉवेल को अपनी गांड के नीचे रखा और चूत के बालों पर क्रीम लगाई। मुझे बस थोड़ी देर बैठना था ताकि बाल सफा क्रीम काम करे। मलहम लगाने के बाद मैंने पलंग के पीछे तकिये पर सिर टिका कर अधलेटी स्थिति में अपने पैरों को फैली स्थिति में सीधा रखा। मैं बहुत थकी हुई थी, इसलिए जल्दी आँख लगा दी। मैं सो गया जब मेरी चूत पर बाल सफा करने वाली क्रीम लगी हुई थी।

थोड़ी देर बाद मेरी आँखें खुलीं। रूम की रोशनी जलती थी, शायद इसलिए मेरी आँखें खुली थीं। उस समय 11 बजे हो गए थे जब मैंने घड़ी देखा। मैं आधे घंटे सोया। मैंने कपड़े का पेपर लिया और अपनी चूत को क्रीम से धोने लगी। Cream भी बालों को साफ करती था और मेरी चूत को फिर से चिकना बनाता था। मैं खड़ी होकर बाथरूम में गया और पहले अपने माँ-बाप के कमरे की तरफ खुलने वाला बाथरूम दरवाजा अन्दर से बंद किया. फिर, मैं tissue पेपर धोने के बाद अपनी चूत को पानी से धोकर क्रीम से पूरी तरह साफ किया। अब मेरी रेशमी चूत चमक रही थी। मैंने माँ-बाप की तरफ खुलने वाले बाथरूम के दरवाजे की कुण्डी फिर से खोली और अपने कमरे में आकर बाथरूम की लाइट बंद कर दी। मैंने कमरे की लाइट बंद कर दी, टॉवेल से अपनी गीली चूत धोकर आदत के मुताबिक नंगी ही पलंग पर सोने की कोशिश की। एक बार आँख खुलने की वाजाह से मैं फिर से सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन मुझे जल्दी नींद नहीं आई।

थोड़ी देर बाद मैंने अपने माता-पिता के कमरे से कुछ आवाजें सुनी। मैंने पाया कि उनके बीच जरूर शादी हो रही थी। (जैसा कि आप जानते हैं, मैंने अपने माँ-बाप को चुदाई करते हुए कई बार देखा है, और मैं सिर्फ उनकी चुदाई देखकर चुदाई का पहला पाठ सीखा था.) )

एक बार मैंने सोचा कि उनकी चुदाई करने दो, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और मुझे अपनी माँ और पापा को चोदते हुए देखने में बहुत मज़ा आती था. मैं बिस्तर से नीचे आ गया और सोचा कि शायद उनके बाथरूम का दरवाजा खुला होगा ताकि मैं उनकी चुदाई कर सकूँ।

जब मैं बाथरूम में आई और उनके दरवाजे की कुंजी घुमाई, तो मैं बहुत खुश हो गया. मैंने बिना लाइट चालू की थी। मैं कितनी भाग्यशाली थी। उनकी ओर से दरवाजा बंद नहीं था। मैंने बिना किसी आवाज के करीब एक इंच दरवाजे को खोला, जो मैं हमेशा उनकी चुदाई देखने के लिए करती हूँ। उस दिन भी, हमेशा की तरह, उनके कमरे की लाइट जलती रही। मेरे माँ-बाप भी लाइट जलाकर चुदाई करते थे।

मैं पूरी तरह नंगी थी, और मेरे पिता और माँ भी पूरी तरह नंगे थे। पुस्तकालय के कोने पर बैठी हुई मेरी माँ ने अपने पैर से मेरे पिता की नंगी कमर को पकड़ा। मैं बाथरूम में था जब वो ऐसी स्थिति में थे।

से माँ की चूत या पिता का लंड नहीं देख पाया। मैं पापा की गांड और माँ की चूचियां देख सकता था। पिताजी ने अपनी माँ के दोनों पैर अपने हाथों से पकड़े हुए थे और उनका लंड उनकी चूत में था। मैं बहुत खुश हूँ कि मेरे माँ-बाप एक सफल और खुशहाल जीवन जी रहे थे। पिताजी लगभग पाँच साल के और माँ लगभग चालीस साल की होने के बावजूद वे अलग-अलग जगहों पर इतनी शानदार चुदाई करते थे, जो उनके इस उम्र में भी चुदक्कड़ होने का संकेत देता था। वो आपस में चुम्बन ले रहे थे और माँ के दोनों हाथ पीछे टेबल पर पकड़ रहे थे। Papa सीधे खड़े हो गए जब वे चुम्बन खत्म कर दिया। पापा ने माँ के पैर अभी भी पकड़कर उसके लंड से चूत में धक्के मारने लगे। पिताजी के लंड के हर धक्के से मेरी माँ की चूचियां ऊपर-नीचे नाच रही थीं। मैं नहीं सुन पाया क्योंकि वे दोनों आपस में बहुत धीरे बोल रहे थे। शायद वे सिर्फ सेक्सी कार्य कर रहे होंगे।

ध्यान न देते हुए मैंने अपनी चिकनी चूत पर हाथ लगाया। मेरी उँगलियों ने देखा कि मेरी चूत गीली हो रही है। अपने माँ-बाप की चुदाई देखने का यह प्रभाव था। मैंने पूरी तरह से ध्यान रखा कि कोई आवाज न निकले। मैं धीरे-धीरे अपनी चूत पर हाथ फिरा रही थी क्योंकि मैं जानती थी कि बहुत जोर से चूत में ऊँगली करने से मैं झर सकती हूँ, जिससे मेरे मुंह से आवाज निकल जाएगी। धीरे-धीरे मैं अपनी चूत को मसल रहा था। वहाँ, मेरे पापा अब मेरी माँ को बहुत जोर से चोदने लगे। पापा के हर धक्के के साथ माँ की चूचियां भी तेजी से नाच रही थीं। हमेशा से मुझे अपने माँ-बाप की चुदाई देखना अच्छा लगता है, और आज मैं फिर वही कर रहा था। और सबसे खास बात यह है कि मैं कभी भी ऐसा करते पकड़ा नहीं गया था; मैं बहुत खुश हूँ। मैं चाचा से चुदवाते हुए भी कभी नहीं पकड़ी गई। मैं चुदाई करवाते हुए या चुदाई देखते हुए हमेशा सावधान रहती हूँ कि मैं पकड़ा नहीं जाऊँगा।

मेरी माँ वहाँ चुदी जा रही थी और मैं खुश हो रहा था।

जब पापा ने माँ को चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी, तो माँ की आँखें खुशी से बंद हो गईं। माँ नाच रही थी और पापा अपने लंड से उसके बड़े बड़े चूचियों को चोद रहे थे। चोदा जा रहा था..। तेजी से चोद रहे थे।

मैं अपनी माँ को चुदते हुए देख रहा था।

मैं, उनकी चुदक्कड़ बेटी, उनकी चुदक्कड़ माँ को चोदते हुए देख रही थी। मुझे पता चला कि मेरे पिता का लंड मेरी माँ की चूत में पानी डालने वाला है जब उनके चोदने की गति सीमित हो गई।

अब वहां अधिक देर खड़े रहने का खतरा था, इसलिए मैं वहां से हटना पड़ा, चाहे मैं नहीं चाहता था।

मैंने बाथरूम का दरवाजा धीरे-धीरे बंद करके अपने कमरे में प्रवेश किया। उसने अपने कमरे में प्रवेश करके बाथरूम को अपनी तरफ से बंद कर लिया।

मैं बहुत गर्म और गीली हो गया था। अब मुझे बहुत ज़्यादा चुदाई की जरूरत महसूस होने लगी। मेरे चाचा मेरी चुदाई की जरूरत पूरी करने के लिए थे। मैंने अपने नंगे बदन पर गाउन डाला और चाचा के बेडरूम की चाबी लेकर अपने कमरे से बाहर निकला. चाचा का कमरा मेरे कमरे के सामने था, और मेरे कमरे की चाबी चाचा के पास मेरे पास रहती है, ताकि हम एक दूसरे को जब भी जरूरत हो चुदाई करने या चुदाई करने के लिए मिल सकते हैं। मैंने उनके कमरे का दरवाजा बंद पाया और चाबी से अंदर गया। चाचा सिर्फ चड्डी पहने हुए गहरी नींद में सो रहे थे। उनका बदन पूरी तरह से नंगा था। मैं रात की रोशनी में कमरे में सब देख सकता था। वह सीधे, पीठ के बल सो रहे थे और उनकी चड्डी उनके नरम, खड़े लंड के ऊपर सपाट थी। मैंने अंदर से दरवाजा बंद करते हुए उनके बिस्तर की ओर बढ़ा। मैंने एक बार सोचा कि उनकी नींद खराब क्यों होती है, लेकिन तुरंत ही मैंने सोचा कि मुझे चुदवाना था। बिस्तर पर उनके पास सो गया। मैंने उनके नरम लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया। उनका लंड बिल्कुल बच्चे के लंड की तरह नरम और मुलायम था। मैं उनके लंड पर चड्डी के ऊपर से ही हाथ फिराने लगा। जैसे गुब्बारे में हवा भर रही हो, उनका लंड जल्दी बड़ा होने लगा। मेरे हाथ लगाने से चाचा का लंड बड़ा और कड़क हो गया। जब मैंने उनके लंड को खड़ा किया, चाचा अभी भी नींद में थे, शायद कोई बुरा सपना देख रहे थे। शायद मेरी पकड़ उनके लंड पर होने से उनकी आँखें जल्दी ही खुल गईं।

उसने मुझे देखकर कहा, “अरे डार्लिंग!” मैं सिर्फ तुम्हारा सपना देख रहा था।

मैंने कहा, और मैं वास्तव में आप के साथ हूँ।

चाचा ने मुझे देखा। उन्होंने अपना हाथ मेरी कमर तक घुमाया, मेरे गाउन मेरे घुटनों के ऊपर था। उन्हें पता चला कि मैं गोवन के नीचे कुछ नहीं पहना था। मेरे गाउन की गाँठ खोलकर उसे मेरे हाथ से बाहर निकालकर उतार फेंक दिया। अब मैं चाचा के सामने पूरी तरह से नंगी बैठी थी, मेरी चिकनी चूत, जो मैंने अभी तक नहीं धोई थी। मैंने भी चाचा की चड्डी उतार दी और उनके लंड को खुला किया। चाचा के हाथ मेरे सेक्सी बदन पर फिर रहे थे, जबकि मैं अपने हाथों को अपने बदन पर घूम रहा था। हमारे होंठ आपस में मिल गए जब वे मुझे अपने ऊपर खींच लिया। उन्होंने मेरी नरम जीभ को चूस लिया। मैं और भी गर्म हो गया था। मैं चाचा के नंगे शरीर को रगड़ने लगा। मेरे पैरों के बीच में से चाचा का पूरी तरह तना हुआ, खड़ा, कड़क, गरम, लम्बा और मोटा लौड़ा मेरी गांड को छू रहा था। मैं चाचा की बालों से भरी छाती पर अपनी दो कड़क चूचियों को रगड़ रहा था। मैं चाचा का लंड अपनी चिकनी चूत में लेने के लिए उत्सुक था। मैंने अपना हाथ नीचे करके चाचा के लंड को अपनी चूत पर रखा। चाचा ने मेरी गांड को दबाया जब उनके हाथ मेरी गोल गांड पर चले गए। मैं और भी बेक़रार हो गया जब उनकी उँगलियाँ मेरी गांड के बीच की दरार में घूमी। मैं जल्दी से चुदवाना चाहती हूँ, चाचा ने समझा। मुझे थोड़ा ऊपर उठाकर मेरी निप्पल और चूची चूसने लगे। वह अपनी जीभ को मेरी निप्पल पर इस तरह घुमा रहे थे कि मैं पागल हो गया। अब हम चुदाई करने के लिए सर्वोत्तम स्थिति में थे। मैंने फिर से अपना हाथ नीचे किया और चाचा का लंड मेरी गीली चूत के दरवाजे पर रखा और अपनी गांड नीचे की। चाचा के ऊपर सोई हुई मैं सिर्फ उनके लंड का मुह मेरी चूत में डाल पाई। तब तक चाचा ने मेरी चूची चुसाई की और मैं चाचा के लंड पर बैठ गया। चाचा का पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया, दो बार तीन बार उठने बैठने से मेरी चूत गीली हो गई। मजेदार चुदाई के लिए, मैंने अपने दोनों हाथ पीछे करके चाचा की जाँघों पर रख दिए, जिससे उनका लम्बा लंड आराम से मेरी चूत में घुस जाए।

मैं उनके लंड को अपनी चूत में लेकर उनके ऊपर चुदाई करने को तैयार था जब वह मेरी चूचियों को मसल रहे थे।

मैंने चाचा को चुदाई करने से पहले चूत और लंड बाहर निकाल दिया। मैंने चाचा के लंड को चूत में पकड़े हुए अपनी गांड को थोड़ा ऊपर कर गोल गोल घुमाया। हे भगवान..। मैंने पहली बार ऐसा किया था और मुझे बहुत अच्छा लगा।

मैं अपनी गांड को गोल गोल घुमाते जा रहा था, जबकि उनका लंड मेरी चूत में घूम रहा था। आप इसके प्रभाव को समझ सकते हैं। चाचा ने मेरी गांड को नीचे से पकड़कर दबाया और मसल दिया जब मैं गोल गोल घुमा रहा था। उन्हें भी मज़ा आ रहा था, इसलिए वो मेरा पूरा साथ दे रहे थे। 10–15 बार अपनी गांड घुमाने के बाद मैं अब चुदवाना चाहती थी।

चाचा का लंड अब मेरी चूत में घुसने लगा जब मैं अपनी गांड ऊपर नीचे कर रहा था। चाचा भी पूरी तरह से मदद कर रहे थे, अपनी गांड ऊपर नीचे करके। चाचा का लौड़ा मेरी चूत के काफी अन्दर तक पहुँचता था जब मैं अपनी गांड नीचे करती थी। मैंने धीरे-धीरे अपनी गांड नीचे करनी शुरू की, लेकिन मेरी गति अपने आप बढ़ी। चाचा अपने लंड को अपनी गांड ऊपर करके मेरी चूत में धक्का देते हुए मेरी चूत में धक्का दे रहे थे। मैंने देखा कि हर धक्के से मेरी दोनों चूचियां नाच रही थीं। यह देखकर मुझे अपनी माँ की बड़ी बड़ी, नंगी चुचियों की याद आ गई जो पापा से चुदवाते समय नाचती थीं। हम दोनों अपनी गांड ऊपर नीचे करते हुए चुदाई करते थे।

जब मैंने अपनी माँ को अपने पापा से चुदवाते हुए देखा, मैं तो चाचा से चुदाई शुरू करने से पहले से ही गर्म थी. मैंने अपनी चूत पर भी अपना हाथ काफी देर तक फिराया, इसलिए मैं तुरंत अपनी मंजिल की ओर भागने लगी। मेरे चाचा को पता था कि मैं बहुत जल्दी झड़ जाऊँगा। वह मुझे नीचे से बहुत जोर से चोदने लगे, और मैं भी ऊपर से बहुत जोर से चोदने लगा। रूम में हमारी चुदाई की आवाजें गूंजने लगी। मेरी सुंदर चूत में चाचा का मोटा, लम्बा और कड़क लंड घुस गया। “फचा फचा” की आवाज आ रही थी। मुझे लगता है कि चुदाई का संगीत दुनिया में सबसे सुंदर है। मेरी गांड तेजी से ऊपर-नीचे चली गई। मैं जानता था कि चाचा का रस इतनी जल्दी नहीं निकलने वाला था, लेकिन मेरा तो निकल गया था। ओह चाचा..। मैं कर रहा हूँ..। मैं बस चला गया..। और मैं भी गया। मैं गिर गया। बहुत तेज झड़ी हुई। मैं चाचा की जांघों पर अपनी गांड टिकाकर उनके लंड को अपनी चूत में लिए बैठ गया। मैं अपनी चूत को भींचते हुए झड़ने का आनंद ले रही थी और आँखें बंद करके कुछ देर बैठी रही। चाचा ने बहुत बुरी तरह से चुदाई की थी। मैं इतना खुश हूँ कि हर चुदाई में कम से कम दो बार झडता हूँ। चाचा मेरी कमर मसल रहे थे। मैं जानता था कि चाचा के लंड का पानी अभी निकलना बाकी था, इसलिए अभी भी चुदाई होनी चाहिए।

मैं थक गई और चाचा के ऊपर से नीचे उतर गई। रात की रोशनी में चाचा का लंड, मेरी चूत के रस से गीला हुआ, चमक रहा था। मैंने एक बार फिर चाचा से घुमने और पीठ करने को कहा। एक बार मैंने सोचा कि चाचा आज मुझे मार देगा। लेकिन मैं जानता था कि वे गांड मारना पसंद नहीं करते। इसका अर्थ है कि वे पीछे से मेरी चिकनी चूत को चोदना चाहते थे।

मैं चाचा की तरफ पीठ करके अपनी साइड पर लेट गया, दूसरी तरफ मुह करके। मैंने अपना ऊपर का पैर थोड़ा ऊपर किया और चुदवाने की पोजीसन बनाई। चाचा ने पीछे से मेरी चूत में अपना गीला, कड़क लंड डाला। चाचा का लंड भी गीला था, इसलिए दो या तीन बार पीछे से मेरी चूत में घुस गया। चाचा ने मेरी चूचियों को पकड़ा और अपने लंड को मेरी चूत में डालने लगा। उनके पैर मेरी नंगी गांड पर टकरा रहे थे और उनकी गांड आगे पीछे हिल रही थी। आप जानते हैं कि हर पोजीसन में चुदवाने का अपना अलग स्वाद है। पीछे से चुदवाना भी कुछ इसी तरह का मज़ा देता है। चाचा से चुदवाते हुए मैंने अपने माँ-बाप के बारे में सोचा। जब वे एक कठोर सेक्स के बाद सो गए होंगे, तो वे नहीं जानते होंगे कि उनकी बेटी अब अपने चाचा से दूसरे कमरे में चुदवा रही है। चाचा का गर्म लंड मेरी गर्म चूत में धक्का दे रहा था। और फिर चुदाई का मधुर संगीत बजने लगा। चाचा के दोनों पैर मेरे दोनों पैरों के बीच में थे, और उनका लम्बा लंड मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। जब मैं फिर से चुदवाती हुई अपनी मंजिल पर पहुँचने के करीब थी, तो मैं भी अपनी गांड हिला हिलाकर आगे पीछे करके चाचा का साथ दे रही थी। दूसरी बार हुआ। जब मैंने चुदवाते हुए चाचा के लंड के सुपाड़े को अपनी चूत में और कड़क और मोटा महसूस किया, तो मुझे पता चला कि चाचा का लंड भी पानी डालने को तैयार था। जब मैं भी झड़ने के काफी पास थी, चाचा ने तेजी से और जोर से मेरी चूत में धक्के मारने लगे। फिर मैं आ गया। दूसरी बार मैं झर गया। चाचा मुझे चोदते जा रहे थे। और अचानक, उन्होंने मेरी सुंदर चूत में अपना गर्म गर्म प्रेम रस डालने लगा। पीछे से चाचा ने मुझे कसकर पकड़ लिया। मैं हवा में उड़ रहा था। जब चाचा का लंड नाच नाच कर मेरी चूत को अपने रस से भर रहा था, तो मैंने अपनी गांड भींचकर उनके लंड को अपनी चूत में जकड़ लिया। मजेदार चुदाई के कारण मेरी आँखें बंद हो गईं, चाचा मेरी चूचियों और गांड को दबा रहे थे। हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहे। चाचा का लंड मेरी चूत में शांत हो गया। थोड़ी देर बाद, उन्होंने मेरी चूत से अपना नरम लंड निकाल लिया। मैं उठकर बाथरूम में अपनी चूत धोने चली गई। मैं वापस आकर चाचा को बिल्कुल नंगा सोते देखा तो हंस पड़ा। अब उनका नरम लंड उनकी गोलियों पर आराम कर रहा था। शायद इसी कारण चाचा जानते थे कि मुझे नरम लंड से खेलना बहुत अच्छा लगता है।

बिस्तर पर आकर मैंने उनके नरम नुन्नी लंड को सीधे अपने मुंह में लेकर लोली पॉप की तरह चूसने लगा। मैंने उनका लंड चूसते हुए उनके लंड और अपनी खुद की चूत दोनों का स्वाद लिया। उस समय उनका लंड इतना छोटा और नरम हो गया था कि मैं पूरी तरह से अपने मुंह में उसे ले गया। मैंने भी अपने हाथ से उनकी गोल गोल गोल गोलियों को मसला। जब मैंने उनके लुल्ली लंड को मुंह से निकालकर अपनी हथेली पर रखा तो लगता था कि वह एक छोटे चूहे की तरह था। मैंने उनकी मुलायम चुचियों से उनके नरम लंड को रगड़ा और फिर से उसे मुंह में लेकर चूसा, तो वह फिर से बड़ा होने लगा। फिर उनका लौड़ा इतना बड़ा हो गया

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